आश्रम के सचिव को 26 दिन डिजिटल अरेस्ट रख 2.52 करोड़ ठगे, MP की सबसे बड़ी साइबर ठगी, 6 गिरफ्तार, बैंक मैनेजर-कैशियर पर भी शक

ग्वालियर
 पुलिस ने डिजिटल ठगी के एक बड़े मामले का खुलासा किया है। पुलिस ने उज्जैन और नागदा में छापे मारकर छह आरोपियों को पकड़ा है। पकड़े गए लोगों में बंधन बैंक की असिस्टेंट मैनेजर और कैशियर भी शामिल हैं। इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने मिलकर करीब 10 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है।

26 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रहे मिशन सचिव

यह धोखाधड़ी एक बड़े डिजिटल फ्रॉड का हिस्सा है। इस फ्रॉड में रामकृष्ण मिशन के सचिव को 26 दिनों तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा गया था और उनसे 2 करोड़ 52 लाख रुपये ट्रांसफर करवाए गए थे। ग्वालियर पुलिस की एसआईटी (विशेष जांच टीम) ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस को सूचना मिली थी कि उज्जैन और नागदा में कुछ लोग भी इस डिजिटल ठगी में शामिल हैं। इसके बाद पुलिस ने वहां छापे मारे और छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपियों से पूछताछ करना चाहती है पुलिस

पुलिस सभी आरोपियों को उज्जैन से ग्वालियर क्राइम ब्रांच ऑफिस ले आई। वहां उनसे पूछताछ की गई। पूछताछ के बाद उनका मेडिकल परीक्षण कराया गया। फिर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। पुलिस ने कोर्ट से आरोपियों की रिमांड मांगी है। पुलिस चाहती है कि आरोपियों से और पूछताछ की जाए ताकि इस गिरोह के बाकी सदस्यों और इस ठगी से जुड़े अन्य पहलुओं का भी पता चल सके।
बैंक अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका

पुलिस के अनुसार, इस ठगी में उज्जैन स्थित बंधन बैंक के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत है। बैंक कर्मचारियों ने मिलकर करीब 10 लाख रुपये धोखाधड़ी से चेक के माध्यम से निकाल लिए। इस फ्रॉड में रामकृष्ण मिशन के सचिव को 26 दिनों तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा गया था। इस दौरान आरोपियों ने उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया और उनसे देश के अलग-अलग बैंकों में करीब 2 करोड़ 52 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए।
विदेशों तक जुड़े हैं इस ठगी के तार

रामकृष्ण मिशन के सचिव ने क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह यादव ने बताया कि यह ठगी बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से की गई थी। इसके तार विदेशों तक जुड़े हुए हैं। पुलिस अब इस अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का भी पता लगाने में जुटी है। उन्होंने कहा कि जल्द ही अन्य आरोपियों तक भी पुलिस की पहुंच होगी और इस घोटाले की पूरी साजिश का पर्दाफाश किया जाएगा।
पुलिस को बैंक अधिकारियों पर शक

पुलिस का मानना है कि बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी रकम की निकासी संभव नहीं थी। इस मामले को मध्य प्रदेश की अब तक की सबसे बड़ी 'डिजिटल अरेस्ट' ठगी माना जा रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस की कई टीमें लगातार काम कर रही हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और भी खुलासे होंगे।

India Edge News Desk

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